कमाल करती हो

 

तुम भी मेरी जां कमाल करती हो 
मेरे ख्यालों में भी बवाल करती हो

बिना मिले ही मुझसे कभी-कभी
जाने कैसा-कैसा सवाल करती हो ।

 जागते हुए भी सोया रहता हूं मैं 
तुम ख्वाबों में भी बेहाल करती हो ।

तेरी खुशी के लिए मैं मुस्कुराता हूं
तू खुशी में भी चेहरा लाल करती हो ।

हर रोज नए नुस्के मुझ पर ही 
तुम तो सदा इस्तेमाल करती हो ।

मैं तो अकेला मस्त मलंग था मगर
बांधकर बंधनों में आजाद करती हो ।

तेरी अदा भी अजीब निराली है जाना
दिल मिला कर तूँ आंखें आड़ करती हो ।

हरकतें हमेशा तुम अजीब करती हो
कभी मुझे या गैर को खुशनसीब करती हो ।

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