कमाल करती हो
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तुम भी मेरी जां कमाल करती हो
मेरे ख्यालों में भी बवाल करती हो
बिना मिले ही मुझसे कभी-कभी
जाने कैसा-कैसा सवाल करती हो ।
जागते हुए भी सोया रहता हूं मैं
तुम ख्वाबों में भी बेहाल करती हो ।
तेरी खुशी के लिए मैं मुस्कुराता हूं
तू खुशी में भी चेहरा लाल करती हो ।
हर रोज नए नुस्के मुझ पर ही
तुम तो सदा इस्तेमाल करती हो ।
मैं तो अकेला मस्त मलंग था मगर
बांधकर बंधनों में आजाद करती हो ।
तेरी अदा भी अजीब निराली है जाना
दिल मिला कर तूँ आंखें आड़ करती हो ।
हरकतें हमेशा तुम अजीब करती हो
कभी मुझे या गैर को खुशनसीब करती हो ।
आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले
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🙏🏼🙏🏼
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