जीवन संवर जाएंगे

 अपनी खुशियां हम सब कुछ इस तरह से मनाएंगे

सोचें भला करें भला और किसी के काम आएंगे ।


अपना पेट तो यूं खुद ही भर लेते हैं पशु पक्षी भी 

मनुज वो ही होंगे जरूरतमंदों के जो काम आएंगे ।


अगर निस्वार्थ रहकर कोई करे सेवा किसी का तो

भला खुद आप ही होगा सदा प्रसिद्धि जग में पाएंगे ।


जो सड़कों पर भटकते यूं ही हर पल भूख से लड़ते

सहारा जो बना कोई अकेले आप जीवन संवर जाएंगे ।


मुसीबत की घड़ी में जो किसी का आसरा हो जाए

उनकी अगली पीढ़ी भी सद्गुणों से भर ही जाएंगे ।


✍ आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाला

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