मत डर, मत डर, मत डर ।

मत डर, मत डर, मत डर ।


कोई भी न हो साथ तेरे

हर तरफ दिखे अंधेरे

अकेले वक्त से लड़

मत डर, मत डर, मत डर ।


सारा जग हो जाए यदि विरुद्ध

‌अपना कार्य न करना अवरुद्ध

खुद पथ अपना गढ़

मत डर, मत डर, मत डर ।


चाहे कोई तुम्हें फटकारे 

पल-पल चाहे कोई दूतकारे 

मन आजाद तू रख

मत डर, मत डर, मत डर ।


चाहे छीने समय तुम्हारी 

जीवन की खुशियां सारी 

सदा समय से लड़

मत डर, मत डर, मत डर ।


चाहे अपने ही दें हलाहल

तू अकेला ही चलाचल

विश्वास तो खुद पर रख

मत डर, मत डर, मत डर ।


कोई अनहोनी घट जाए 

व्योम तेरे सर पर फट जाए

सदा लक्ष्य पर बढ़

मत डर, मत डर, मत डर ।


आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले


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