दीपावली
है पर्व पावन पुरुषार्थ का ये,
जीत की नव उल्लास का ।
है दीप देहरी पर सजे,
है जीत तम पर प्रकाश का ।
है अनुपम त्यौहार ये,
कार्तिक कृष्णपक्ष के अवसान का ।
यम के पूजन विधान का ये,
धनवंतरी के अबतरण का ।
देव पूजन हेतु दीपदान,
है पर्व ये दिव्यार्थ का ।
घोर-कालिमा की अंधियारी रात
पर्व अमावस में जगमग प्रकाश का ।
धनतेरस रूपचौदस लक्ष्मी गोवर्धन पूजन,
भैयादूज है संगम पावन पंच पर्व का ।
उजियारे की स्वर्ण-लालिमा बाला,
पर्व अनोखा है यह उत्कर्ष का ।
आजाद रहें सब हर गम से,
है यह पर्व अकेला बस हर्ष का ।
आचार्य गोपाल जी
उर्फ
आजाद अकेला (बरबीघा वाला)
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