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नव वर्ष सभी का मंगलमय हो

* 🚩🚩🕉️🌹🌹अंतर्राष्ट्रीय नववर्ष की शुभकामनाएं🌹🌹 🕉️🚩🚩 * नव वर्ष सभी का मंगलमय हो नूतन वर्ष, लाए हर्ष, हो सबका उत्कर्ष । जीवन उपवन रहे सुहावन , हो ना अमर्ष । सुरभित सद्ज्ञान से संचारित सदा संसार रहे । अलौकिक अनुपम आनन्द से जीवन सराबोर रहे। हर प्रात दोपहरी संध्या निशा सदा सभी की जय हो । ईश हरे हर कष्ट सदा नव वर्ष सभी का मंगलमय हो । सुखी सुंदर सुदृढ़ सकल संसार रहे । हर दिन नव खुशियों का त्यौहार रहे । हो पावन मन , मुख पर मधुर मुस्कान रहे । हमें अपना मान रहे मानवता का नित ध्यान रहे । परोपकारमय जीवन हो , सब सदा यहाँ अनामय हो । विश्व बन्धुत्त्व बयार बहे , नव वर्ष सभी का मंगलमय हो । हो सत्य,शान्ति,सदाचारमय सुन्दर जीवन । खिलें कल्याणमय कुसुम से जीवन उपवन । राष्ट्र उन्नति करें सदा , निजता का अभिमान रहे । नित प्रेम पीयूष रसधार बहे , सुखी सकल संसार रहे । आजाद अकेला रहे न कोई , सब प्रेम पाश आनंदमय हो । बीते साल का वंदन जय हो , नव वर्ष सभी का मंगलमय हो ।              ✍️आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले

*एक अनोखा त्योहार रवि षष्ठी*

 *एक अनोखा त्योहार रवि षष्ठी* अस्ताचल सूर्य और उदयाचल सूर्य दोनों ध्यान और पूजन वाला रवि षष्ठी एक अनोखा त्योहार है,इसे  छठ व्रत के नाम से भी जाना जाता है । यह बिहार का प्रमुख त्योहार है ऐसे यह बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश , झारखंड , बंगाल मैं भी प्रमुखता के साथ मनाया जाता है ।  इसमें भगवान भास्कर की पूजा की जाती है । यह पर्व कार्तिक एवं चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, इसी कारण इसे सूर्य षष्ठी व्रत या छठ कहा गया है। इस त्योहार में श्रद्धालु इसके तीसरे दिन अर्थात षष्ठी तिथि को डूबते हुए सूर्य को और चौथे व अंतिम दिन अर्थात  सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्ध्य देते हैं। सूर्य की उपासना से व्यक्ति में आत्मशक्ति एवं निरोगता की प्राप्ति होती है । अतः यह व्रत आत्म बल बढ़ाने आरोग्यता संतान प्राप्ति तथा उसकी लंबी आयु के लिए किया जाता है। वैदिक काल से सूर्य की पूजा होती आ रही है । भगवान भास्कर की पूजा किसी जलाशय पर करने की प्रथा है सूर्योपासना से होने वाले लाभ को देखते हुए इस पूजा की प्रथा आजकल विकसित हो रही है। और आज यह बिहार ,उत्तर प्रदेश ,झारखंड का म...

दीपावली

है पर्व पावन पुरुषार्थ का ये,  जीत की नव‌ उल्लास का । है दीप देहरी पर सजे, है जीत तम पर प्रकाश का ।  है अनुपम त्यौहार ये, कार्तिक कृष्णपक्ष के अवसान का । यम के पूजन विधान का ये, धनवंतरी के अबतरण का । देव पूजन हेतु दीपदान, है पर्व ये दिव्यार्थ का । घोर-कालिमा की अंधियारी रात पर्व अमावस में जगमग प्रकाश का । धनतेरस रूपचौदस लक्ष्मी गोवर्धन पूजन, भैयादूज है संगम पावन पंच पर्व का  । उजियारे की स्वर्ण-लालिमा बाला, पर्व अनोखा है यह उत्कर्ष का ।  आजाद रहें सब हर गम से, है यह पर्व अकेला बस हर्ष का । आचार्य गोपाल जी           उर्फ  आजाद अकेला (बरबीघा वाला)

पंचपर्व महोत्सव "दीपावली"

  *पंचपर्व महोत्सव "दीपावली"*                   अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व दीपावली या दीपोत्सव कहलाता है । एक प्रकाश उत्सव उत्सव है जो बच्चों का हृदय विशेषकर विशेषकर आकर्षित करता है घरों में हाथों पर चौराहों पर दुकानों पर सब जगह दीप की पंक्तियां शोभायमान रहती पंक्तियां शोभायमान रहती है । यह एक शरदीय उत्सव है । वर्षा ऋतु में सभी जगह वर्षा के प्रभाव से अस्वच्छता कीड़े मकोड़ों की वृद्धि हो जाती है । जब शरद ऋतु आता है तो लोग घर और आंगन को साफ करते हैं । वह घरों को, किवाड़ और खिड़कियों को रंगते हैं जहां-तहां बिखरे कूड़ा करकट उनको बिखरे कूड़ा करकट उनको हटाते हैं । लोगों की ऐसी मान्यता है मान्यता है की श्री रामचंद्र जी रावण वध के बाद जब पहली बार अयोध्या आए तो प्रथम दीपोत्सव का आयोजन किया गया । उसी समय से आज तक बुराई पर अच्छाई की जीत अंधकार पर प्रकाश की जीत मानकर हम लोग इस पर पर को मनाते आ रहे हैं । इस रात्रि को लोग सुख रात्रि भी कहते हैं मिथिला और बंगाल प्रदेश में कुछ लोग इस दिन काली पूजा भी करते हैं । ...

मत डर, मत डर, मत डर ।

मत डर, मत डर, मत डर । कोई भी न हो साथ तेरे हर तरफ दिखे अंधेरे अकेले वक्त से लड़ मत डर, मत डर, मत डर । सारा जग हो जाए यदि विरुद्ध ‌अपना कार्य न करना अवरुद्ध खुद पथ अपना गढ़ मत डर, मत डर, मत डर । चाहे कोई तुम्हें फटकारे  पल-पल चाहे कोई दूतकारे  मन आजाद तू रख मत डर, मत डर, मत डर । चाहे छीने समय तुम्हारी  जीवन की खुशियां सारी  सदा समय से लड़ मत डर, मत डर, मत डर । चाहे अपने ही दें हलाहल तू अकेला ही चलाचल विश्वास तो खुद पर रख मत डर, मत डर, मत डर । कोई अनहोनी घट जाए  व्योम तेरे सर पर फट जाए सदा लक्ष्य पर बढ़ मत डर, मत डर, मत डर । आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले

याद उन्हें तुम हर पल करना

 याद उन्हें तुम हर पल करना  याद उन्हें तुम हर पल करना जो मौत से भी लड़ रहे हैं निज सुखों को कर न्योछावर प्राण मनुज का गढ़ रहे हैं  जब कभी भी आई आफत हमने स्वयं को लिया छुपा वो अस्पतालों में कभी तो कभी सीमा पर लड़ रहे हैं  नित प्रात: संध्या सह सदा वो धूप छांव पानी पत्थर देश रक्षा के लिए बन निर्भय तन पर खाकी धर रहे हैं हर‌ तरफ की गंदगी का करने सफाई स्वच्छताकर्मी सदा उठ सवेरे ले हाथ झाड़ू और गाड़ी घर-घर गुजर रहे हैं  शिक्षक सदा-ही ज्ञान का सागर सभी को हैं देते पीला करके होम निज सुखों का का नूतन समाज वह गढ़ रहे हैं आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले

आधुनिक बिहार के निर्माता "बिहार केसरी श्री कृष्ण सिंह"*

 जन्मदिन पर विशेष *आधुनिक बिहार के निर्माता "बिहार केसरी श्री कृष्ण सिंह"*  महान स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह भारत के अखंड बिहार राज्य के प्रथम प्रधानमंत्री और स्वतंत्र भारत के बिहार राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के पद को सुशोभित करने वाले थे । इनका जन्म 21 अक्टूबर 1887 ईस्वी ( तद्नुसार कार्तिक शुक्ल पंचमी संवत् 1941 ‏‏वि.) को बिहार के मुंगेर प्रमंडल स्थित शेखपुरा जिला के बरबीघा प्रखंड स्थित माऊर नामक ग्राम में हुआ था । हालांकि आधिकारिक तौर पर यह माना जाता है कि उनका जन्म नवादा जिला के खानवा नामक ग्राम में हुआ था । परंतु उनके बड़े भाई देवकीनंदन से के द्वारा लिखिए ज्योतिष की प्रसिद्ध पुस्तक ज्योतिष रत्नाकर में उनकी कुंडली में उनका जन्म स्थान माऊर बरबीघा वर्णित है । उनके पिता का नाम श्री हरिहर सिंह था ।उनके पिता एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार के धार्मिक, मध्यवर्गीय सदस्य थे। उनकी माँ भी बहुत ही सरल और धार्मिक विचारों वाली इंसान थीं। श्री बाबू जब पाँच साल के थे, तब प्लेग से उनकी मा की मृत्यु हो गई। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव के स्कूल में प्राप्त की, और बाद में...