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Showing posts from October, 2021

मत डर, मत डर, मत डर ।

मत डर, मत डर, मत डर । कोई भी न हो साथ तेरे हर तरफ दिखे अंधेरे अकेले वक्त से लड़ मत डर, मत डर, मत डर । सारा जग हो जाए यदि विरुद्ध ‌अपना कार्य न करना अवरुद्ध खुद पथ अपना गढ़ मत डर, मत डर, मत डर । चाहे कोई तुम्हें फटकारे  पल-पल चाहे कोई दूतकारे  मन आजाद तू रख मत डर, मत डर, मत डर । चाहे छीने समय तुम्हारी  जीवन की खुशियां सारी  सदा समय से लड़ मत डर, मत डर, मत डर । चाहे अपने ही दें हलाहल तू अकेला ही चलाचल विश्वास तो खुद पर रख मत डर, मत डर, मत डर । कोई अनहोनी घट जाए  व्योम तेरे सर पर फट जाए सदा लक्ष्य पर बढ़ मत डर, मत डर, मत डर । आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले

याद उन्हें तुम हर पल करना

 याद उन्हें तुम हर पल करना  याद उन्हें तुम हर पल करना जो मौत से भी लड़ रहे हैं निज सुखों को कर न्योछावर प्राण मनुज का गढ़ रहे हैं  जब कभी भी आई आफत हमने स्वयं को लिया छुपा वो अस्पतालों में कभी तो कभी सीमा पर लड़ रहे हैं  नित प्रात: संध्या सह सदा वो धूप छांव पानी पत्थर देश रक्षा के लिए बन निर्भय तन पर खाकी धर रहे हैं हर‌ तरफ की गंदगी का करने सफाई स्वच्छताकर्मी सदा उठ सवेरे ले हाथ झाड़ू और गाड़ी घर-घर गुजर रहे हैं  शिक्षक सदा-ही ज्ञान का सागर सभी को हैं देते पीला करके होम निज सुखों का का नूतन समाज वह गढ़ रहे हैं आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले

आधुनिक बिहार के निर्माता "बिहार केसरी श्री कृष्ण सिंह"*

 जन्मदिन पर विशेष *आधुनिक बिहार के निर्माता "बिहार केसरी श्री कृष्ण सिंह"*  महान स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह भारत के अखंड बिहार राज्य के प्रथम प्रधानमंत्री और स्वतंत्र भारत के बिहार राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के पद को सुशोभित करने वाले थे । इनका जन्म 21 अक्टूबर 1887 ईस्वी ( तद्नुसार कार्तिक शुक्ल पंचमी संवत् 1941 ‏‏वि.) को बिहार के मुंगेर प्रमंडल स्थित शेखपुरा जिला के बरबीघा प्रखंड स्थित माऊर नामक ग्राम में हुआ था । हालांकि आधिकारिक तौर पर यह माना जाता है कि उनका जन्म नवादा जिला के खानवा नामक ग्राम में हुआ था । परंतु उनके बड़े भाई देवकीनंदन से के द्वारा लिखिए ज्योतिष की प्रसिद्ध पुस्तक ज्योतिष रत्नाकर में उनकी कुंडली में उनका जन्म स्थान माऊर बरबीघा वर्णित है । उनके पिता का नाम श्री हरिहर सिंह था ।उनके पिता एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार के धार्मिक, मध्यवर्गीय सदस्य थे। उनकी माँ भी बहुत ही सरल और धार्मिक विचारों वाली इंसान थीं। श्री बाबू जब पाँच साल के थे, तब प्लेग से उनकी मा की मृत्यु हो गई। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव के स्कूल में प्राप्त की, और बाद में...

जीवन संवर जाएंगे

 अपनी खुशियां हम सब कुछ इस तरह से मनाएंगे सोचें भला करें भला और किसी के काम आएंगे । अपना पेट तो यूं खुद ही भर लेते हैं पशु पक्षी भी  मनुज वो ही होंगे जरूरतमंदों के जो काम आएंगे । अगर निस्वार्थ रहकर कोई करे सेवा किसी का तो भला खुद आप ही होगा सदा प्रसिद्धि जग में पाएंगे । जो सड़कों पर भटकते यूं ही हर पल भूख से लड़ते सहारा जो बना कोई अकेले आप जीवन संवर जाएंगे । मुसीबत की घड़ी में जो किसी का आसरा हो जाए उनकी अगली पीढ़ी भी सद्गुणों से भर ही जाएंगे । ✍ आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाला

कमाल करती हो

  तुम भी मेरी जां कमाल करती हो  मेरे ख्यालों में भी बवाल करती हो बिना मिले ही मुझसे कभी-कभी जाने कैसा-कैसा सवाल करती हो ।  जागते हुए भी सोया रहता हूं मैं  तुम ख्वाबों में भी बेहाल करती हो । तेरी खुशी के लिए मैं मुस्कुराता हूं तू खुशी में भी चेहरा लाल करती हो । हर रोज नए नुस्के मुझ पर ही  तुम तो सदा इस्तेमाल करती हो । मैं तो अकेला मस्त मलंग था मगर बांधकर बंधनों में आजाद करती हो । तेरी अदा भी अजीब निराली है जाना दिल मिला कर तूँ आंखें आड़ करती हो । हरकतें हमेशा तुम अजीब करती हो कभी मुझे या गैर को खुशनसीब करती हो । आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले

हे माँ आदिशक्ति

 हे माँ आदिशक्ति हे मां आदिशक्ति हम पर कृपा कर दीजिए,  हम सब है तेरे ही बालक अपनी शरण में लीजिए, हे मातृ ममतामयी  हम पर उपकार ये कर दीजिए, रोग शोक संताप हर कर निश्चिंत हमें कर दीजिए,  राग द्वेष को दूर कर प्रेम अंतर भर दीजिए , दूर कर बाधा विघ्नों को निष्कंट पथ दीजिए, नवरात्रि में नव रूप धरकर नूतन हमें कर दीजिए, हे मातु ममतामयी मुझ मूरख मतिमंद को ज्ञान चक्षु दीजिए, हे प्रथम दिवस की शैलपुत्री अडिग मुझे कर दीजिए, ब्रह्मचर्य भाव मन में मेरे ब्रह्मचारिणी भर दीजिए,  हे चंद्रघंटा चंचला चरित्र निर्मल कर दीजिए, कुष्मांडा कुमार्ग से हटाकर अपने शरण में लीजिए, हे स्कंदमाता कात्यायनी हम पर कृपा कर दीजिए, नाश करके काल का कालरात्रि कंचन हमें कर दीजिए, हे महागौरी सिद्धिदात्री सर्व सिद्धि हमें भी दीजिए, आजाद अकेला आया शरण कुछ तो दया कर दीजिए, आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले

लगा ला माय चरण अप्पन

लगा ला माय  चरण अप्पन लगा ला माय  चरण अप्पन हम्मर उद्धार हो जइतइ । किरपा कर दा मइया हमरा पर त बेरा पार हो जइतइ । जग जननी जगदंबा शक्ति के दाता मइया तू नजरिया फेर हमरा पर जीवन उजियार हो जइतइ लगा ला माय...............। हइ जगत के पालिका मइया प्रलय क्षण में करे  मइया अगर चाहे तू मइया तऽ जगत विस्तार हो जइतइ लगा ला माय...............। ज्ञान के देवी तू ही हा बचन के शुद्धि करता तू दया कर मइया हमरा पर चकमक संसार हो जइतइ लगा ला माय...............। तू ही मइया मायाधारी  तू ही हऽ लक्ष्मी लीलाधारी  अकेला आश तोरे पर  जे तोहर दीदार हो जइतइ लगा ला माय  चरण अप्पन हम्मर उद्धार हो जइतइ ।  आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले